Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105–५०

अध्याय 10

'तुम्हें क्या लगता है? दिल्ली पुलिस इतनी बुरी भी नहीं है, है ना?' राणा ने हमें आंख मारते हुए कहा। अब तक वो हमारे लिए केवल एक पुलिस इंस्पेक्टर ही नहीं रह गए थे। मैं उन्हें 'राणा' की तरह सोचने लगा था, इंस्पेक्टर 'राणा' की तरह नहीं। सौरभ और मैं रोज़ की तरह उनके ऑफिस आए हुए थे। 'कमाल कर दिया, सर दो दिन में कातिल का सुराग लगा लिया, सौरभ ने उन्हें मक्खन लगाते हुए कहा। मेरे सामने चाय का प्याला रखा था, जिसे मैंने छुआ भी नहीं था। राणा ने मुझे चाय पीने को कहा। 'सर, आप श्योर हैं कि वॉचमैन ने ही यह किया है?" मैंने कहा।

राणा ने त्योरी बढ़ा ली। फिर वे सौरभ की तरफ मुड़े और हंस दिए । कत्ल की वजह, सीसीटीवी से मिले सबूत, उसका तेलंगाना से होना, जारा के मंगेतर की पिटाई... यह तो ओपन-एंड-शट केस है।'

"क्या सच?' मैंने कहा

सौरभ ने मेरे पैर पर एक लात जमाई ताकि मैं अपना मुंह बंद रखूं। वह चाहता था कि रोजमर्रा की यह पेशी बंद हो, इसलिए राणा के द्वारा कही गई हर बात को मानने को वह तैयार था। लेकिन मैंने कहा, "भला लक्ष्मण रघु पर हमला क्यों करवाएगा?" "क्योंकि रघु ने भी लक्ष्मण का विरोध किया था। जारा को उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए उसने

ही उकसाया था।" "क्या आपने रघु से बात की है?"

हुए

'तुम्हें क्या लगता है, हम चुतिए हैं? ऑफ़ कोर्स, हमने उससे बात की है।" "ओह, ओके। आई एम सॉरी'

'वो पुलिस थाने आया था। उसने कन्फर्म किया कि ज़ारा की बॉचमैन से लड़ाई हुई थी. इस्पेक्टर ने खीझते 'हो?'

कहा "एनीचे, तुम लोग अब जा सकते हो।' "सर?' सौरभ ने खड़े होते हुए कहा।

'अब जब आपने क़ातिल को पकड़ लिया है, तो क्या हमारा रोज़ यहां आना ज़रूरी है?"

'हम्म...' राणा अपनी कुर्सी में पीछे की तरफ हुए। 'तुम सही कह रहे हो। लेकिन मुझे अभी भी तुम्हारे दोस्त की ज़रूरत पड़ सकती है।" 'जी सर, मैं यहीं पर हूं। मैं यहां से पांच किलोमीटर दूर रहता हूं और चंदन क्लासेस में रोज पहाता हूं, मैंने

कहा।

"ठीक है। केवल केशव को मुझसे हफ्ते में एक बार मिलना होगा। या जब भी उसे बुलाऊं। सौरभ, तुम्हें अब आने की ज़रूरत नहीं है। खुश?" सौरभ का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा, जैसे किसी कैदी को तीस साल बाद जेल से रिहा किया गया हो।

'मैं पूरे समय अवेलेबल हूं, सरा मेरी बस एक रिक्वेस्ट है, ' मैंने कहा। *PIT?' 'क्या मैं वॉचमैन से एक बार बात कर सकता हूं? यदि आपको कोई ऐतराज़ ना हो तो?"

"क्या?' सौरभ ने मुझे एक डटीं लुक दी। अब जब हम यहां से छूटने ही वाले थे, तब मुझे किसी में उगली करने की क्या जरूरत थी? राणा हंस पड़े। वे मेरे पास आए और मेरी पीठ थपथपाते हुए बोले, 'तुम्हारी समस्या क्या है? तुमको क्या

   0
0 Comments